कभी स्विगी में HR थे, आज 700 करोड़ का टर्नओवर: 3.75 लाख इन्वेस्ट कर 9 साल पहले शुरू की कंपनी, 60 हजार लोगों को दिया जॉब – Begusarai News

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‘5 साल तक HR डिपार्टमेंट में काम करने के बाद मैंने खुद की कंपनी खोलने का प्लान बनाया। इसके लिए मुझे जॉब से इस्तीफा देना था, लेकिन सोच रहा था कि इस बारे में मम्मी-पापा को कैसे बताऊं? डर था कि वे नाराज होंगे और बिजनेस के लिए तैयार नहीं होंगे, लेकिन किस

आज मैं बिहारी में बात बेगूसराय के रहने वाले नवनीत कुमार की।

नवनीत बताते हैं कि मैं HR का काम कर रहा था, तब कई लोगों का इंटरव्यू लेता था, कई लोगों का सिलेक्शन हो जाता था, लेकिन सीट सीमित होने की वजह से कई लोगों को मायूसी हाथ लगती थी। इसे लेकर मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न मैं खुद की कंपनी खोलूं और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दूं।

नवनीत का जन्म 6 सितंबर 1986 को बेगूसराय के मोहनपुर गांव में हुआ है।

2011 में फ्लिपकार्ट में शुरू की जॉब

नवनीत बताते हैं कि ‘MBA करने के बाद सबसे पहला जॉब साल 2011 में फ्लिपकार्ट में मिला। यहां मैंने बतौर HR काम शुरू किया। उस दौरान फ्लिपकार्ट शुरुआती दौर में थी। जब कंपनी को धीरे-धीरे ग्रोथ मिलना शुरू हुआ तो मुझे भी ग्रो करने का मौका मिला। इसके बाद मैंने ओला में काम किया। ये कंपनी भी उस दौरान इनिशियल स्टेज में ही थी। फिर स्विगी जॉइन किया। आखिरकार 6 साल तक नौकरी करने के बाद साल 2016 में मन में अपना काम शुरू करने का विचार आया।’

छह महीने तक माता-पिता को नहीं दी जानकारी

नवनीत के मुताबिक, ‘कंपनी खोलने का निर्णय लिया तो मम्मी-पापा को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी, क्योंकि डर था कि नौकरी छोड़कर बिजनेस की बात करेंगे तो वे तैयार नहीं होंगे। नौकरी के बीच शादी हुई थी। ऐसे में नौकरी छोड़कर नया रिस्क लेने के लिए परिवार राजी होंगे या नहीं, ये मुझे नहीं पता था, लेकिन पत्नी मोनिका ने मेरे इस फैसले में मेरा काफी सपोर्ट किया।’

‘पत्नी को बताया कि खुद को 6 महीने का समय दिया है, सब ठीक रहा, तभी मम्मी-पापा को इस बारे में बताऊंगा, नहीं तो फिर से नौकरी करूंगा।’

कंपनी शुरू करने के लिए पैसे चाहिए थे, मेरे पास सिर्फ 3.75 लाख ही थे

नवनीत बताते हैं-

उद्धरण

कंपनी शुरू करने में पैसे की जरूरत होती, लेकिन उस दौरान मेरे पास करीब 3 लाख 75 हजार रुपए ही थे। इसी पैसे से कंपनी शुरू करने की ठान ली। कुछ पैसे की और जरूरत थी, तो दिल्ली, कर्नाटक और ओडिशा में रहने वाले तीन दोस्तों प्रतीक, सत्या और नीतीश से संपर्क किया। उन्हें पूरी प्लानिंग बताई और कहा कि तुम लोग भी कुछ पैसों की मदद करो। फिर तीनों ने जो पैसे दिए और जो पैसे मेरे पास थे, उसे मिलाकर 15 लाख रुपए इकट्ठा हुआ।

उद्धरण

इसके बाद SPNN (सत्या, प्रतीक, नीतीश, नवनीत) बिजनेस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी रजिस्ट्रेशन कराया और एचआर सर्विसेज शुरू किया। बेंगलुरु में हमने को-वर्किंग स्पेस में काम करना शुरू किया। सबसे पहले स्विगी, फिर बिग बास्केट के लिए लगातार काम करते रहे। इलेक्ट्रिकल हायरिंग, जनरल स्टाफिंग समेत कई काम किया, पहले साल में ही 3 करोड़ का बिजनेस किया।

दोस्तों ने मदद जरूर की, लेकिन शुरुआत में वे मेरे साथ जुड़े नहीं थे। वे पहले की तरह पहले अपनी-अपनी कंपनी में काम करते रहे। जब मेरी कंपनी ने पहले साल में 3 करोड़, दूसरे साल यानी 2017-18 में 30 करोड़ का बिजनेस किया, तो मेरा मनोबल बढ़ गया। इसके बाद मेरे तीनों दोस्त भी मेरे साथ आ गए। फिर हमने तीसरे साल में ही 100 करोड़ का बिजनेस पार कर लिया। इसके बाद कंपनी का हेड ऑफिस बेंगलुरु से गुरुग्राम में शिफ्ट किया, जिसमें 100 लोग काम कर रहे हैं।

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बेंगलुरु, बिहार समेत 20 राज्यों में 45 जगहों पर चल रहा ऑफिस

नवनीत बताते हैं ‘बेंगलुरु और बिहार में तीन जगह सहित 20 राज्यों में 45 जगहों पर ऑफिस चल रहे हैं। 2019 के लास्ट में अचानक कोविड आ गया, बहुत डिफिकल्ट टाइम था, लगा कि अब हम इससे ऊपर नहीं जा पाएंगे। उस समय हमारी कंपनी के माध्यम करीब 15 हजार लोग नौकरी कर रहे थे। लॉकडाउन लगने के 3 दिन के अंदर में क्लाइंट ने करीब 9 हजार लोगों को नौकरी से निकाल दिया।’

‘मन में घबराहट थी, जिनकी नौकरी जा रही थी, उनकी चिंता थी, पता नहीं था कि क्या होगा? इन सबके बीच मैंने अपनी फिक्स डिपॉजिट तुड़वाकर जिनकी नौकरी गई, उन्हें सैलरी दी। इन परेशानियों के साथ मन में आत्मविश्वास था कि अच्छा दिन आएंगे।’

‘कोविड के दौरान ई-कॉमर्स मार्केट में अचानक बूम आया तो अवसर को भुना लिया। ई-कॉमर्स कंपनी के साथ हमारा काम फिर से स्टार्ट हुआ और कोविड के दौरान ही हमारी कंपनी का ग्रोथ रेट सबसे अधिक था।’

‘700 करोड़ तक पहुंचने में काफी परेशानियां झेलनी पड़ी’

‘कंपनी को 700 करोड़ तक पहुंचाने में काफी परेशानियां झेलनी पड़ी। 15 लाख का इन्वेस्टमेंट था। अगर आप 10-20 करोड़ का बिजनेस करते हैं तो परेशानी नहीं होती। लेकिन जब 100 करोड़ को पार करते हैं तो बहुत सारे लीगल और ऑफिशियल इश्यू जाते हैं। जब बिजनेस 500 करोड़ के आसपास पहुंच जाता है तो और इश्यू आते हैं। साथ ही, क्वालिटी मेंटेन करना भी बहुत बड़ा चैलेंज हो जाता है।’

नवनीत बताते हैं कि ‘मेरी वाइफ ‘अथर्व सेवा फाउंडेशन’ चलाती है। उसके माध्यम से ह्यूमन डेवलपमेंट, चाइल्ड एजुकेशन, गरीबी रेखा से नीचे वाले जो स्कूल भी नहीं जा पता उनके लिए भी काम करते हैं। उनसे सामान बनवा कर अच्छे दाम में बेचकर उनका 100 फीसदी पैसा वापस करते हैं। हेल्थ एंड हाइजीन पर भी काम करते हैं, बच्चों का हेल्थ टेस्ट करवाते हैं, फ्री में उनका इलाज करवाते हैं।’

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साल 2009… तब बिहार के गांवों में इंजीनियर और IAS अफसरों की ज्यादा पूछ होती थी। हर मिडिल क्लास फैमिली अपने बेटे को इंजीनियर और IAS बनाने का सपना देखती थी। मेरे बिजनेसमैन पिता भी मुझे इंजीनियर बनते देखना चाहते थे। पूरी खबर पढ़िए



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