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Road Accidents Free Cashless Treatment News: बिहार में नीतीश सरकार ने सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के लिए 1.5 लाख रुपये तक का मुफ्त कैशलेस इलाज शुरू किया है, ताकि “गोल्डन ऑवर” में तत्काल चिकित्सा मिल सके.
हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं में पीड़ित परिवारों को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
हाइलाइट्स
- बिहार में सड़क दुर्घटना में घायलों को 1.5 लाख तक मुफ्त इलाज मिलेगा.
- योजना का उद्देश्य “गोल्डन ऑवर” में तत्काल चिकित्सा सुविधा देना है.
- हिट-एंड-रन मामलों में पीड़ित परिवारों को 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.
पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने एक महत्वपूर्ण जनहितकारी कदम उठाया है, जिसने लोगों का ध्यान खींचा है. सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के लिए अब सरकार 1.5 लाख रुपये तक का मुफ्त कैशलेस इलाज उपलब्ध कराएगी. यह योजना न केवल घायलों की जान बचाने में मददगार होगी, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी राहत लेकर आएगी. इस पहल को केंद्र सरकार की कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम से प्रेरणा मिली है, जिसे बिहार में लागू कर सड़क सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया गया है.
योजना की मुख्य विशेषताएं
इस योजना के तहत, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को दुर्घटना के बाद सात दिनों तक मुफ्त इलाज मिलेगा. प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का खर्च सरकार वहन करेगी. यह सुविधा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) से पंजीकृत सरकारी और निजी अस्पतालों में उपलब्ध होगी. योजना के तहत:
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कैशलेस इलाज: घायलों को इलाज के लिए कोई अग्रिम भुगतान नहीं करना होगा.
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तत्काल कार्रवाई: दुर्घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर पुलिस को देनी होगी.
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एंबुलेंस नेटवर्क: सरकारी और निजी एंबुलेंस सेवाओं को एक टोल-फ्री नंबर से जोड़ा जाएगा, ताकि घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सके.
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हिट-एंड-रन मामलों में मुआवजा: हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं में पीड़ित परिवारों को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
इस योजना का संचालन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), बिहार पुलिस, पंजीकृत अस्पतालों और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों के समन्वय से किया जाएगा. परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया, “हमारा लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को कम करना है. समय पर इलाज और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं कई जिंदगियां बचा सकती हैं.” इसके लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी विकसित किया जा रहा है, जहां दुर्घटना की जानकारी और इलाज की प्रक्रिया को ट्रैक किया जा सकेगा. यह योजना पहले चंडीगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थी, जहां इसे काफी सफलता मिली. अब इसे पूरे बिहार में लागू किया जा रहा है.
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस घोषणा को चुनावी स्टंट करार दिया है. राजद के प्रवक्ता ने कहा, “चुनाव से पहले नीतीश सरकार जनता को लुभाने के लिए ऐसी योजनाएं लाती है, लेकिन लागू करने में कोताही बरतती है.” इसके बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह बिहार में सड़क सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.