एजेंसी:News18 Bihar
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Purnia Gurukulam: पूर्णिया गुरुकुलम अपने बच्चों को निःशुल्क वेद की शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा, प्राणायाम, गौ सेवा, संगीत शिक्षा दे रहा है. यहां कंप्यूटर गणित विज्ञान से लेकर योग और वेद की शिक्षा दी जाती है…और पढ़ें
पूर्णिया गुरुकुलम अपने बच्चों को निःशुल्क वेद की शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा, प्राणायाम, गौ सेवा, संगीत शिक्षा दे रहा है.
हाइलाइट्स
- गुरुकुलम जहां छात्र सनातन वैदिक संस्कृति से लेकर आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान और अंग्रेजी सीख रहे हैं.
- पूर्णिया गुरुकुलम में वेद की शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा, प्राणायाम, गौ सेवा, संगीत शिक्षा भी मिल रही है.
- पूर्णिया गुरुकुलम के आचार्य सुनील कुमार बताते हैं कि गुरुकुलम की शुरुआत 25 बच्चों से की गई है.
पूर्णिया. सनातन धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जहां एक तरफ उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ लगा है. वहीं प्राचीन गुरुकुलम और सनातन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बिहार के पूर्णिया जिले में एक ऐसे गुरुकुलम की शुरुआत की गयी है, जो कई मायनों में खास है. पूर्णिया गुरुकुलम अपने बच्चों को निःशुल्क वेद की शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा, प्राणायाम, गौ सेवा, संगीत शिक्षा दे रहा है. यहां कंप्यूटर गणित विज्ञान से लेकर योग और वेद की शिक्षा दी जाती है.
आपने सुना होगा कि प्राचीन काल में चाहे कृष्ण हो या सुदामा, चाहे राजा हो या रंक सब के बच्चे एक साथ गुरुकुलम में पढ़ते थे. लेकिन, अब यह परंपरा धीरे-धीरे समाप्त हो गई. हालांकि, पूर्णिया का गुरुकुलम आज भी इस परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं, जहां खेलने की उम्र में वैदिक श्लोक के साथ अपने दिनचर्या की शुरुआत कर रहे हैं. ये नौनिहाल पूर्णिया के गुरुकुलम में गुरु शिष्य परंपरा की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
नयी पीढ़ी को जानना जरूरी
सूर्य नमस्कार, पारंपरिक संगीत, वैदिक रीति रिवाज से हवन, धारा प्रवाह वैदिक श्लोक का उच्चारण, और गौपालन कर रहे बच्चे आधुनिक शिक्षा से भी अलग नहीं हैं. कंप्यूटर शिक्षा और विज्ञान तकनीक की पढ़ाई भी यहां के बच्चे हर दिन करते हैं. बच्चों की माने तो उनके माता-पिता ने सनातन धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आने वाली पीढ़ी को इस तरह की शिक्षा देने के लिए यहां भेजा है.
25 से हुई गुरुकुलम की शुरुआत
पूर्णिया गुरुकुलम के आचार्य सुनील कुमार बताते हैं कि गुरुकुलम की शुरुआत 25 बच्चों से की गई है. इसका मूल उद्देश्य अपनी सभ्यता संस्कृति को बच्चों में डालना है और वैदिक ज्ञान प्राप्त करना है. उन्होंने बताया कि हर जाति वर्ग के लोग अपने बच्चों को यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं, जहां गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित शिक्षा दी जाती है. आचार्य ने कहा कि यहां पर प्राचीन वैदिक शिक्षा संस्कृति से लेकर आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान, गणित की शिक्षा दी जाती है. इसके साथ ही यहां गीत-संगीत, यज्ञ-हवन, योग, गोपालन और चरित्र निर्माण की शिक्षा दी जाती है.
आचार्य और छात्र मिलकर करते हैं काम
उन्होंने बताया कि शाम में सभी बच्चे अपने आचार्य के सामने दिन भर के दिनचर्या की चर्चा करते हैं और अगर कोई गलती होती है तो वह भी बताते हैं. साथ ही अपना दंड भी खुद चुनते हैं. उन्होंने कहा कि यहां आचार्य और छात्र सब एक साथ मिलकर स्वच्छता से लेकर हर काम करते हैं. समय के अनुसार शिक्षा की पद्धति में भी काफी परिवर्तन हुआ. एक समय था जब बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए आश्रम में गुरु के पास भेजा जाता था. लेकिन, आधुनिक दौर में सभी व्यवस्था से युक्त अच्छे बोर्डिंग स्कूल में छात्रों को भेजना शुरू किया और पुरानी परंपरा छूट सी गई. आधुनिक शिक्षा में कहीं ना कहीं भारतीय सभ्यता संस्कृति विलुप्त होती जा रही है. ऐसे में सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने का गुरुकुलम का यह प्रयास काफी सराहनीय है.
Purnia,Purnia,बिहार
30 जनवरी, 2025, 19:13 है