नए वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में हो रहे विरोध और समर्थन के बीच आज यानी बुधवार (16 अप्रैल) को यह मामला पहली बार सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में लग रहा है. दोपहर 2 बजे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए कुल 72 याचिकाएं लिस्ट की गई हैं.
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है.
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर सुनवाई के लिए दायर कुछ प्रमुख याचिकाएं
- AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी
- AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
- मौलाना अरशद मदनी (जमीयत उलेमा प्रमुख)
- SP सांसद जियाउर्रहमान बर्क
- टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा
- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
- समस्त केरल जमीयतुल उलेमा
- आरजेडी सांसद मनोज झा
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
- जेडीयू नेता परवेज़ सिद्दीकी
- सैयद कल्बे जवाद नकवी
इनके अलावा कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सीपीआई जैसी राजनीतिक पार्टियों के दूसरे नेताओं ने भी याचिकाएं दायर कर रखीं हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस मामले में याचिका दाखिल की है. सभी याचिकाओं में मुख्य रूप से यही कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है.
नए वक्फ कानून के समर्थन में भी कोर्ट में दाखिल किए गए आवेदन
वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में भी कई आवेदन कोर्ट में दाखिल हुए हैं. भारत के 7 राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, असम और छत्तीसगढ़, ने वक्फ संशोधन कानून, 2025 को व्यवहारिक, पारदर्शी और न्यायसंगत बताया है.
इसके अलावा कुछ आदिवासी संगठनों ने इसे अपने समुदाय की रक्षा करने वाला कानून बताते हुए समर्थन व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि पुराने कानून के चलते वक्फ बोर्ड अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन पर भी कब्जा कर ले रहा था. हालांकि, अब ऐसा नहीं हो सकेगा.
कोर्ट एकतरफा आदेश न दे, इसलिए केंद्र सरकार ने दाखिल की कैविएट
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. केंद्र ने किसी भी आदेश से पहले अपना पक्ष सुने जाने की मांग की है. चूंकि वक्फ संशोधन कानून का विरोध करने वाली याचिकाओं में कानून पर रोक लगाने की भी मांग की गई है. ऐसे में सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि बिना उसका पक्ष सुने कोर्ट कोई एकतरफा आदेश न दे.