ACB ने रजिस्ट्री क्लर्क व नंबरदार को पकड़ा: दादरी टीम ने भिवानी में मारा छापा, तीन साल से था फरार, 200 करोड़ की जमीन का मामला – Bhiwani News

Spread the love share


ACB ने गिरफ्तार किया गया रजिस्ट्री क्लर्क और नंबरदार

चरखी दादरी की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) टीम ने भिवानी में छापेमारी करते हुए रजिस्ट्री क्लर्क व नंबरदार को गिरफ्तार किया है। रजिस्ट्री क्लर्क 3 साल से फरार चल रहा था। जो करीब 200 करोड़ रुपए की जमीन के मामले में केस दर्ज किया गया था। गिरफ्तार किए गए दो

एसीबी चरखी दादरी के इंस्पेक्टर कुलवंत ने बताया कि रजिस्ट्री क्लर्क विकास व नंबरदार ओमबीर को गिरफ्तार किया है। 2022 में भिवानी चर्च की जमीन को फर्जी दस्तावेज के आधार पर रजिस्ट्री करवाने की कोशिश की गई थी। इस मामले में 8 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं विकास ने फर्जी दस्तावेजों को बगैर चेक किए कंप्यूटर में फीड करवाया। वहीं ओमबीर ने क्रेता व विक्रेता को बिना जानते हुए अपने हस्ताक्षर कर दिए।

ACB द्वारा गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी

20 कनाल 11 मरले जमीन का मामला उन्होंने बताया कि बैप्टिस्ट की 20 कनाल 11 मरले जमीन का मामला है। शिकायत दिल्ली के सुमित ने दी थी। जो बैप्टिस्ट के पावर ऑफ अटार्नी होल्डर थे। शिकायत के आधार पर केस करते हुए कार्रवाई चल रही थी। वहीं इस केस में 9 नामजद लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। 8 लोग पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं। एसीबी टीम में इंस्पेक्टर कुलवंत, एएसआई सुखविंद्र सिंह, एएसआई प्रमानंद, एएसआई प्रदीप आदि शामिल रहे।

200 करोड़ की जमीन का मामला बैप्टिस्ट चर्च की करीब 200 करोड़ की भूमि घोटाला मामले में वीरवार को चरखी दादरी एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने भिवानी के तोशाम से रजिस्ट्री क्लर्क और भिवानी से एक नंबरदार को गिरफ्तार किया है। दोनों ही बैप्टिस्ट चर्च भूमि बिक्री मामले में दर्ज की गई एफआईआर में नामजद किए गए थे। इससे पहले इस मामले में भिवानी के तत्कालीन तहसीलदार रवींद्र मलिक व अन्य की गिरफ्तारी हो चुकी है। मामला 2022 से स्टेट विजिलेंस के पास है।

ACB द्वारा गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी

ACB द्वारा गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी

बैप्टिस्ट चर्च भूमि फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण में नामजद रजिस्ट्री क्लर्क की एफआईआर दर्ज होने के करीब 3 साल बीतने के बाद गिरफ्तारी हुई है। इस मामले की शिकायत बैप्टिस्ट चर्च से जुड़े सदस्यों ने पुलिस अधीक्षक को दी थी। जिसकी प्रारंभिक जांच तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने आर्थिक अपराध शाखा से कराई थी। आर्थिक अपराध शाखा की जांच के बाद एसपी के निर्देश पर इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार सहित नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी और बाद में ये मामला एंटी करप्शन ब्यूरो के पास भेजा गया था। जिसकी जांच स्टेट विजिलेंस कर रही है।



Source link


Spread the love share