Mahakumbh 2025: भगदड़ के दर्द से कराहते लोग, अपनों को ढूंढती निगाहें…इलाहाबादियों को शर्म न आई; यूं ठगते रहे

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं से बाइकर्स ने की जमकर उगाही
– फोटो : अमर उजाला

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में कई रंग देखने को मिल रहे हैं। कोई अध्यात्म में खोया है, तो कोई तपस्या में लीन है। कोई अपनी आराधना में मस्त है। इसी में बीच 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होने वाले शाही स्नान के लिए 28 जनवरी से भीड़ का दबाव बढ़ने लगा। 28, 29 जनवरी की रात को संगम नोज पर भगदड़ में 30 लोगों ने आधिकारिक रूप से अपनी जानें गंवा दीं, जबकि कई दर्जन लोग घायल हो गए।

पुलिस प्रशासन ने किसी तरह स्थितियों को संभाला। अब जिम्मेदारों का प्रयास रहा कि लोगों को किसी तरह शहर से बाहर भेजा जाए। वह लोग उसमें जुट गए। भगदड़ की खबर के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं ने बड़ा दिल दिखाया। उन्होंने 29 जनवरी को तड़के से ही कैंपस और हॉस्टल के दरवाजे खोल दिए। थके हुए, मायूस और बुरी तरह बेहाल श्रद्धालुओं को न सिर्फ शरण दी, बल्कि पानी पिलाया, उन्हें चाय वितरित की। सबने खूब मेहनत की। 29, 30 और 31 जनवरी को छात्र छात्राओं के ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिसमें वह सड़कों पर लोगों को पानी पिलाते हुए देखे जा रहे हैं।




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महाकुम्ब 2025: इलाहाबाद के लोगों ने उन लोगों को धोखा दिया, जो अपने परिवार को संगम में भगदड़ में खो गए थे

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़
– फोटो : सुंदरम

ताजा हो गए कोरोना के दौरान लोगों से लूट के दृश्य

एक तरफ ऐसे दृश्य थे, जिनकी लोग सराहना कर रहे थे, उन्हें आशीष दे रहे थे। मन से दुआ दे रहे थे। इसी बीच 29 जनवरी को शाम से कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हुए, जो आपदा में अवसर ढूंढ रहे थे। वह परेशान, हतप्रभ श्रद्धालुओं पर गिद्ध नजरें गड़ाए बैठे थे, कि कैसे उनकी मजबूरी का फायदा उठाया जाए और कैसे उन्हें लूटा जाए। वह भारत की आत्मा ‘अतिथि देवो भव:’ के संकल्प को भूल चुके थे। ठीक उसी प्रकार जैसे जब कोरोना महामारी आई तो कुछ पैसों के भेड़िए रेमिडीसिवर और अन्य जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी करने में जुट गए थे। उसी प्रकार जब तीर्थराज कहे जाने वाले प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लोग परेशान हुए, हतप्रभ हुए, अपनों से बिछड़ गए, बेहाल थे, तो कुछ तत्व इन्हें लूटने के लिए सड़कों पर उतरे। इन दृश्यों को देखकर एक बार फिर कोरोना के दौरान के लोगों को लूटे जा रहे दृश्य ताजा हो गए।


महाकुम्ब 2025: इलाहाबाद के लोगों ने उन लोगों को धोखा दिया, जो अपने परिवार को संगम में भगदड़ में खो गए थे

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महाकुंभ में उमड़ी भीड़।
– फोटो : अमर उजाला।

एक से लेकर दो हजार तक प्रति व्यक्ति वसूली

30 और 31 तारीख को अमर उजाला के कैमरे में कुछ ऐसे दृश्य कैद हुए, जिन्हें देखकर मानवता शर्मसार हो गई। ऐसा महसूस हुआ कि इन पैसों के भूखे भेड़ियों को वाकई संवेदनाएं मर चुकी हैं। यह सच्चाई हैरान करने वाली थी, लेकिन थी तो सच्चाई ही। भगदड़ के बाद परेशान लोग अपनों को ढूंढ रहे थे। पैदल चलकर थक चुके थे। थकावट की वजह से कई यात्री इस हाल में थे कि एक कदम भी चलना दूभर था। ऐसे में कुछ तत्व उन यात्रियों को बाइक पर उनके गंतव्य स्थान तक छोड़ने की बात कहते। फिर इनसे सौदा तय करते। एक हजार से लेकर दो हजार तक प्रति व्यक्ति उनसे वसूल कर रहे थे।


महाकुम्ब 2025: इलाहाबाद के लोगों ने उन लोगों को धोखा दिया, जो अपने परिवार को संगम में भगदड़ में खो गए थे

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महाकुंभ 2025
– फोटो : @MahaaKumbh

… ऐसे पता चलता वास्तव में इनके साथ ठगी हो गई

चूंकि अधिकतर जगहों पर बाइक जाने की अनुमति नहीं थी, इसके बाद भी यह असामाजिक तत्व लोगों को मौके तक पहुंचाने की बात कहकर पैसे की उगाही कर रहे थे। सौदा तय करने के बाद उन्हें 1-2 किमी तक ले जाकर छोड़ देते और कहते बस आगे ही संगम है, या आगे ही स्टेशन है, या अस्पताल है। यानी जिसको जहां जाना होता था, उनकी मंजिल बताकर रफू चक्कर हो जाते। जब वह परेशान लोग वहां मौजूद लोगों से बात करके अपना पता पूछते, तब उन्हें पता चलता कि वह तो अपनी मंजिल से काफी दूर हैं। वास्तव में इनके साथ ठगी की गई है।


महाकुम्ब 2025: इलाहाबाद के लोगों ने उन लोगों को धोखा दिया, जो अपने परिवार को संगम में भगदड़ में खो गए थे

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चौराहों पर पुलिसकर्मियों ने सवारी ढो रहे बाइकर्स को पकड़ा
– फोटो : अमर उजाला

चौराहों पर पुलिसकर्मियों ने पकड़ा

इस तरह की लूट की घटनाएं जब बढ़ीं तो इसकी शिकायत अधिकारियों से हुई। इसके बाद चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों तक यह संदेश आया कि ऐसे लोगों की पहचान करें और कार्रवाई करें। बालशन चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मियों ने ऐसे कई बाइक सवारों को पकड़ा जो बाइक पर 2-2, 3-3 सवारियां ढो रहे थे। यहां अचंभित करने वाली बात यह रही कि उन्होंने श्रद्धालुओं से पैसे के साथ एक बात यह भी तय कर ली थी कि कोई पुलिसकर्मी पकड़े और पूछे तो यह बताना कि यह हमें फ्री में छोड़ने जा रहे हैं। यह सेवा कर रहे हैं। पूछताछ में यह बात सामने आई तो लोग इन शातिरों के दिभागी चाल को सोचकर अचंभित रह गए। यानी यह श्रद्धालुओं को ठग भी रहे थे और समाजसेवी भी कहलाना चाहते थे।




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